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शतावरी (Asparagus) व अन्य औषधीय फसलों(Medicinal plants) की मंडियों(Herbal market) व मंडी भाव की जानकारी

वर्तमान समय में औषधीय फसलों(medicinal crops) या हर्बल कच्चे माल(herbal raw material) जैसे कि शतावरी या सतावर की सूखी जड़ों(dried roots) का व्यापार कमिशन एजेंट्स या स्थानीय व्यापारी(local traders) के माध्यम से होता है जिनकी जानकारी इंटरनेट पे भी उपलब्ध रहती है। भारत सरकार अपने पूरे प्रयास कर रही है जिससे किसानों या प्राथमिक उत्पादकों(primary producer) को सीधे मुख्य उपभोक्ता(herbal Mandi or herbal company) से जोड़ा जा सके। अधिकांश औषधीय फसलों का व्यापार पारंपरिक हर्बल मंडी(conventional herbal mandi) के माध्यम से होता है। कई राज्यों ने कृषि उपज मंडी(agriculture produce market) को भी औषधीय फसलों के व्यापार से जोड़ने की कोशिश की है। और भी कई माध्यम है जिनके द्वारा औषधीय फसलों का  व्यापार होता है। (Chart 1 - Mandi rates of various herbal raw materials in different mandis in month March 2020)

नेपाली पीली सतावर की खेती में नुकसान को कैसे रोकें और ज्यादा मुनाफा कैसे कमाएं

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सतावर एक बहुवर्षीय फसल है जो जैविक विधि से उगाई जाती है।जो किसान भाई नेपाली पीली सतावर (Satavar) या शतावरी(Shatavari) की खेती में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते है और चाहते है कि खेती में कम से कम नुकसान हो तो उन्हें कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं। अक्सर ये देखा जाता है कि किसान भाई बीज खरीदते समय, पौध तैयार करते समय और फसल के समय छोटी छोटी गलतियां कर देते हैं। नतीजतन खेत में पैदावार अच्छी नहीं हो पाती और नुकसान कर बैठते हैं। सतावर की खेती में अगर किसान भाई ध्यान रखे कि कहां कहां गलतियां हो सकती हैं और क्या क्या सावधानियां रखनी है तो होने वाले नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।  इस बात का ध्यान रहे कि खेत में नेपाली पीली सतावर या शतावरी(shatavari) को ही उगाना चाहिए  क्योंकि इसका व्यापारिक मूल्य(market value) अच्छा मिलता है। सतावर की खेती की विस्तृत जानकारी आप हमारे पिछले लेख को देख सकते हैं जिसका लिंक है -  सतावर(Asparagus) की खेती कैसे करें ये सावधानियां हमें नीचे दिए गए समय पर बरतनी चाहिए :

नेपाली पीली सतावर की खेती में आय व्यय का लेखा-जोखा

सतावर या शतावरी ( नेपाली पीली सतावर ) की खेती करने से पहले खेती में होने वाले आय - व्यय के बारे में जानना आवश्यक है। बहुवर्षीय फसल होने के कारण सतावर की फसल में   अनाज की फसल की अपेक्षा   लागत ज्यादा आती है लेकिन मुनाफा भी कई गुना होता है। आजकल गेहूं और धान की फसल में जहां कोई बचत नहीं हो पाती वहीं सतावर की फसल में कई गुना मुनाफा हो जाता है। आय - व्यय के आँकड़े तैयार करते समय हमने निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया है :  1. बीज / किलोग्राम की दर आवश्यकता के अनुसार समय के साथ बदलती रहती है ।  2. सतावर की उपज मिट्टी की उर्वरता और जलवायु की स्थिति पर निर्भर करती है। हमने आंकड़ों में औसत परिदृश्य पर विचार किया है ।  3. संसाधित या सूखी शतावरी जड़ों / किलोग्राम की दर हर्बल कंपनियों द्वारा बाजार में मांग पर निर्भर करती है।   इनका मूल्य  200 रुपये / किलोग्राम से लेकर 750 रुपये / किलोग्राम तक हो सकता है। हमने आज की तारीख के हिसाब से रुपए 200/ किलोग्राम के भा

How to cultivate Nepali Yellow Satavar( Asparagus Racemosus) in Farm

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Satavar or Shatavari is an Ayurvedic herb whose botanical name is Asparagus Rasemosus. Nepali pili Satavar is a special variety of Satavar or shatavari which is grown on a large scale in India and Nepal as it gets good commercial value in the market. this medicinal crop can be grown easily in tropical and subtropical region, particularly in central India. This is a multi-year crop that grows in 18 months to 30 months. The yield per hectare of Shatavari also varies according to the soil fertility and the climatic condition of the area. After obtaining roots from the ground they can be stored upto 10-15 years. Farmers are switching to farming of shatavari from conventional farming of cereals due to multi fold return. 

सतावर या शतावरी(Asparagus Racemosus) की खेती कैसे करें

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सतावर या शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ीबुटी है जिसका  वानस्पतिक  नाम एस्परागास रेस्मोसुस (Asparagus Racemosus) है। नेपाली सतावर, सतावर की ही एक खास किस्म है जिसका उत्पादन भारत और नेपाल में बड़े स्तर पर होता है क्यों की बाजार में इसका अच्छा मूल्य(market value) मिल जाता है। उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र इसकी खेती के लिए काफी अनुकूल होते हैं। सतावर एक बहुवर्षीय फसल है जो १८ माह से ३० माह में तैयार होती है। खेत की उर्वरक क्षमता और क्षेत्र की जलवायु स्थिति के अनुसार सतावर का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी भिन्न होता है। सतावर को भूमि से सूखी जड़ों के रूप में प्राप्त करके इनको  कई वर्ष 10-15 वर्ष तक स्वस्थ बना के रखा जा सकता है । अनाज की फसलों की तुलना में इस आयुर्वेदिक खेती में अधिक मुनाफा होता है और इसी कारण देश के किसान इस खेती में भी रुचि लेने लगे हैं।

Account of Expenditure and Income in Satavar(Nepali Yellow Satavar) farming

Before cultivating Shatavari or Satavar (Nepali yellow) one should understand the statistics of expenditure and income in cultivating. Due to being a multi - year crop, the cost of cultivating Shatavari is higher than that of the grain crop, but at the same time the profits are also multi-fold. Now a days, where there is no savings in grain like paddy and wheat crops, there ia manifold profit in the crop of Satavar. We have taken the following point into consideration while preparing statistics of Expenditure - Income : 1. The rate of seeds /Kg varies over time as per the demand in market. 2. Yield of crop depends upon soil fertility and climatic condition. We have considered yield on an average scenario. 3. Rate of processed dried shatavari roots/Kg depends upon the demand in Herbal market. It may vary from Rs 200/Kg to Rs 750/Kg. We have taken the current market price Rs 200/Kg as on date. 4. If you have your own land and don't depend upon labour then c ost of cultivation will be