नेपाली पीली सतावर की खेती में नुकसान को कैसे रोकें और ज्यादा मुनाफा कैसे कमाएं
सतावर एक बहुवर्षीय फसल है जो जैविक विधि से उगाई जाती है।जो किसान भाई नेपाली पीली सतावर (Satavar) या शतावरी(Shatavari) की खेती में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते है और चाहते है कि खेती में कम से कम नुकसान हो तो उन्हें कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं। अक्सर ये देखा जाता है कि किसान भाई बीज खरीदते समय, पौध तैयार करते समय और फसल के समय छोटी छोटी गलतियां कर देते हैं। नतीजतन खेत में पैदावार अच्छी नहीं हो पाती और नुकसान कर बैठते हैं। सतावर की खेती में अगर किसान भाई ध्यान रखे कि कहां कहां गलतियां हो सकती हैं और क्या क्या सावधानियां रखनी है तो होने वाले नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
इस बात का ध्यान रहे कि खेत में नेपाली पीली सतावर या शतावरी(shatavari) को ही उगाना चाहिए क्योंकि इसका व्यापारिक मूल्य(market value) अच्छा मिलता है। सतावर की खेती की विस्तृत जानकारी आप हमारे पिछले लेख को देख सकते हैं जिसका लिंक है - सतावर(Asparagus) की खेती कैसे करें
ये सावधानियां हमें नीचे दिए गए समय पर बरतनी चाहिए :
1. सतावर का बीज खरीदते समय
बीज हमेशा साफ और चिकना ही खरीदें और सिकुड़ा हुआ बीज नहीं खरीदें उसका अंकुरण नहीं हो पाता।कोशिश करें किसी मध्यस्थ व्यक्ति से बीज ना खरीदना पड़े हमेशा किसी किसान भाई से ही खरीदें क्योंकि उसे बीज की सही पहचान होती है। कई बार नेपाली सतावर के नाम पर वेल वाली सतावर का बीज बेच दिया जाता है जिसका मूल्य बाजार में बहुत कम होता है। अगर कृषि अनुसंधान केन्द्र से बीज खरीदें तो उत्तम रहेगा।
2. पौधशाला तैयार करते समय
बीज खरीदने के बाद दूसरा चरण होता है सही तरह से पौधशाला तैयार करना। बीज कितना भी अच्छा हो उसका अंकुरण 60-70 % तक ही होता है। जिस खेत में पौधशाला तैयार करनी है उसकी पहले अच्छी जुताई कर लें और गोबर की खाद बिखेर दें। उसके बाद समान स्तर की 10m*1m की क्यारियां बना लें जिससे सिंचाई सारी क्यारियों में समान रूप से हो सके। फिर क्यारियों में ५ सेमी की दूरी से रेखाएं(lines) खींच लें जिसमें बीज बोना हो। समान रेखाओं में बीज बोने का फायदा ये होता है कि सिंचाई सही से हो पाती है और खरपतवार होने पर उसे आसानी से निकाला जा सकता है बिना पौध को नुकसान पहुंचाए और इस तरह बीज का अंकुरण अच्छा होता है।सतावर के बीज की परत बहुत सख्त(hard coating) होती है इसके लिए बीज को एक दिन पहले पानी में भिगो के रख दें या फिर गौमूत्र में डाल के रख दें। ऐसा करने से बीज मुलायम हो जाता है और अंकुरण अच्छा होता है। बीज बोने के बाद रेखाएं रेत या मिट्टी से पाट दें और पुआल से ढक दें जिससे पानी देने पर खेत में नमी बनी रहे और बीज का अंकुरण होने लगे। सिंचाई उसी दिन बागवानी वाले फव्वारे(rose water cane) से कर दें तो सही रहता है।
इन सावधानियों को ध्यान में रख कर बहुत से किसानभाई ना सिर्फ अपने खेत के लिए पौध तैयार करने में सक्षम होते हैं वल्कि व्यापारिक तौर पर अधिक पौध तैयार करके दूसरे किसान भाइयों को बेच कर मुनाफा भी कमा लेते हैं और इस प्रकार खेती शुरू होने से पहले ही कमाई होने लगती है।
3. मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के समय
पौधों की रोपाई से पहले खेत तैयार कर लें। खेत की तैयारी अप्रैल - मई में शुरू कर देनी चाहिए। ढैंचा(Dhaincha) या ग्वार इत्यादि से हरी खाद तैयार कर लें।ढैंचा जब 3 या 4 मीटर लंबा हो जाए तब खेत में हैरो (Harrow) चला कर मिट्टी में ढेले तुड़वा दे और मिट्टी को मुलायम करवा लें। मिट्टी भुरभुरी हो जानी चाहिए और उसके बाद गोबर की खाद डलवा दें।DAP या NPK का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि सतावर या शतावरी एक औषधीय पौधा है इसकी वृद्धि जैविक विधि से ही होनी चाहिए। औषधीय पौधों की खेती के लिए FSSAI और AYUSH मंत्रालय के मानदंड बहुत कड़े होते हैं। खेती में रसायनों का इस्तेमाल करने से सतावर की सूखी जड़ों का हर्बल बाजार में मूल्य भी नहीं मिल पाता। पौधों की रोपाई पौधे को जड़ से सीधा खड़ा पकड़कर करें और जमीन में 15 सेमी नीचे दबा दें।पौधों की उचित वृद्धि के लिए खेत में सिंचाई उसी दिन कर दें।
इस प्रकार उचित मानदंडों के तहत रोपाई करने से पौधे मरते कम है। पौधों में वृद्धि अच्छी होती है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
4. फसल की वृद्धि के समय
सतावर एक बहुवर्षीय फसल है तो हम मिश्रित फसल या सह - फसल करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। शिमला मिर्च, टमाटर, आलू या मटर की सह - फसल की जा सकती है। ध्यान रहे जब सतावर का पौधा छोटा होता है तभी सह - फसल करनी चाहिए। पौधा बड़ने पर सह - फसल रोक देनी चाहिए जिससे सतावर के पौधों की वृद्धि पर असर ना पड़े।
सतावर का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक हो इसके लिए फसल की देखभाल अच्छे से करनी चाहिए। खेत में पानी के निकास की उचित व्यवस्था कर देनी चाहिए।जिससे अगर खेत में पानी भर जाए तो उसे आसानी से निकाला जा सके। ऐसा ना करने पर पानी सतावर की जड़ों में चला जाता है और जड़ें सड़ सकती है। इसका बहुत नुकसान हो सकता है।
वैसे तो ये कांटेदार फसल होती है जानवरों से नुकसान का डर नहीं रहता। खरपतवार होने पर निराई गुड़ाई करें रसायन का इस्तेमाल ना करें जिससे इसका हर्बल बाजार में व्यापारिक मूल्य कम ना हो। सतावर के पत्तों पर सुड़िया या कीड़े लगने पर कीटनाशकों का छिड़काव कर दें नही तो पौधा बढ़ नहीं पाएगा और नष्ट हो जाएगा।
नवंबर माह में सतावर के पौधों पर लगा बीज पक जाता है।उसे तुड़वा कर पानी में भिगो कर पूर्ण रूप से बीज प्राप्त कर लें। खेती के दौरान अगर सारी सावधानियों का ध्यान रखा जाए तो बीज का उत्पादन भी अच्छा होता है जिसे बाजार में बेच कर या अगले सत्र के लिए पौध तैयार करके पैसे कमाए जा सकते हैं।
इस प्रकार से किसान भाई अगर सारे मानकों का ध्यान रखें और सारी सावधानियां बरतते हुए सतावर की खेती करें तो सतावर की जड़ें मोटी बनेंगी और प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होगा। और इस प्रकार पौध तैयार करने से लेकर फसल तैयार होने तक लाभ ही लाभ होगा।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :
विश्वनाथ प्रताप सिंह
दूरभाष - 9760606973, 9760286001
मे महाराष्ट्र से हु मुझे शतावरी की माकॅट के बारेमे पुरी जानकारी दे मे अपनी शतावरी कहा बेचु
ReplyDeleteशतावरी की मार्केट desh के सारे बड़े शहरों में है. मुंबई, नागपुर, भोपाल आदि. इसे बेचने के लिए आप इन्टरनेट पर व्यापरियों के मोबाइल no की जानकारी हासिल कर सकते hai. वैसे तो मैंने शतावरी की मंडी की सारी जानकारी इसी वेबसाइट पर डाल दी है. अगर और अधिक जानकारी चाहिये तो 9760286001 पर कॉल कर सकते है
Deleteमै संदिप पाटील महाराष्ट्रा जिला सांगली से
ReplyDeleteमेरी एक एकड मे शतावर की खेती है मार्च महिने मे शतावर निकलने वाली है मुझे मुंबई मंडी सबसे नजदिक है
मुझे 2021 मे सारे मंडी के शतावर के मार्केट भाव के बारेमे सही जानकारी चाहीए
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी ऑनलाईन साइट पर दी है उसके लिये आपको बहुतही धन्यवाद
Thanks sandip पाटिल साहेब हमारे काम की सराहना करने के लिए. आप इस लिंक पर क्लिक करके मुंबई के trader's की जानकारी हासिल कर सकते है. https://www.nmpb.nic.in/medicalplants?field_state_tid=331&title=Mumbai&Search=Search
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